छठी मैया छठ पूजा उत्सव में पूजी जाने वाली देवी हैं, जिनसे जुड़े कई पौराणिक कथाएँ हैं:
- प्रकृति का छठा रूप: ब्रह्मवैवर्त पुराण के अनुसार, प्रकृति को छह भागों में विभाजित किया गया था, जिनमें से छठा भाग छठी या षष्ठी कहलाया।
- भगवान ब्रह्मा की पुत्री: कुछ कथाओं के अनुसार, छठी मैया को सृष्टिकर्ता भगवान ब्रह्मा की पुत्री माना गया है।

सूर्य की बहन: वेदों में छठी मैया को उषा के नाम से जाना गया है और उन्हें सूर्य देव की छोटी पत्नी या बहन माना जाता है।
बालकों की रक्षक: छठी मैया को बच्चों की संरक्षक माना जाता है, जो उनके अच्छे स्वास्थ्य और दीर्घायु का आशीर्वाद देती हैं।
देवी कात्यायनी का अवतार: कुछ मान्यताओं के अनुसार, छठी मैया को देवी दुर्गा के एक रूप देवी कात्यायनी का अवतार भी माना जाता है।

आपको और बता दें की शब्द “छठ” का मतलब नेपाली, मैथिली और भोजपुरी भाषाओं में “छठ” यानि छठा होता है। ये त्यौहार हिंदू लूनी-सौर बिक्रम संबत कैलेंडर के कार्तिक महीने के छठी दिन मनाया जाता है, इसी वजह से इसका नाम छठ पूजा है।
एक प्रचलित कहानी कर्ण से जुड़ी है। ऐसा माना जाता है कि उन्हें ही सबसे पहले छठ पूजा की शुरुआत करनी थी। कर्ण अंग देश के राजा थे, जो आज के समय में बिहार के भागलपुर के रूप में जाना जाता है। ये भी कहा जाता है कि द्रौपदी और सीता ने भी सूर्य देवता का आशीर्वाद पाने के लिए छठ पूजा शुरू की थी।
ये सच है कि सूर्य दुनिया को ऊर्जा देते हैं और जीवन को संभव बनाते हैं। सूर्य की गर्मी के बिना पृथ्वी पर जीवन थमा हुआ सा हो जाएगा। छठ पूजा के दिन महिलाएं सूर्य देवता को उनकी शक्ति और जीवन को बनाए रखने के लिए आभार प्रकट करती हैं।

छठ पूजा ४ दिनों तक चलता है , इसके मुख्य कार्यक्रम इस प्रकार होते हैं |
१) नहाय खाय : छठ पूजा का त्यौहार नहाय खाय के अनुष्ठान के साथ शुरू होता है। भक्त लोग नदी या नज़दीक के पानी में पवित्र स्नान करते हैं और वे एक साधारण भोजन तैयार करते हैं जो चावल और मौसम की सब्जियों का होता है। ये दिन शुद्धिकरण और सरलता का प्रतीक होता है।
२) खरना : दूसरे दिन को खरना कहते हैं। क्या दिन भक्त लोग सूर्योदय से लेकर सूर्यास्त तक उपवास रखते हैं। शाम को, वे खीर (एक मीठा चावल का हलवा) और चपाती का विशेष भोजन तैयार करते हैं। मोहल्ले को प्रशाद ग्रहण के लिए निमंत्रण दिया जाता है , जो एकता और साथ का प्रतीक होता है।
३) छठ : ये छठ पूजा का मुख्य दिन होता है। भक्त लोग सूर्य देव को अर्घ्य (प्रार्थना) देते हैं जब वो अस्त हो रहे होते हैं। वे गठरियों को गन्ना, अनार, और केले जैसे प्रसाद से भरते हैं, साथ ही पारंपरिक ठेकुआ (गेहु के आटे और गुड़ से बना एक मीठा) भी होता है। परिवार, चमकदार पारंपरिक पोशाक पहने हुए, पानी के किनारे इक्त्था होते हैं, प्रार्थना करते हैं और भक्ति गीत गाते हैं जब वो सूर्य की पूजा करते हैं।
४) सूर्योदय : अंतिम दिन, सूर्योदय, उदय होते सूर्य की पूजा के लिए समर्पित है। सुबह जल्दी भक्त लोग सूर्य देव को अर्घ्य देने के लिए इकठ्ठा होते हैं, जो त्योहार का समापन करता है। ये अनुष्ठान, जो गहरी भक्ति से भरे होते हैं, परिवार को एक साथ लाते हैं ताकि छठ पूजा से प्राप्त आशीर्वाद का उत्सव मनाएं।
लोगो का मानना है की पूरे लगन से पूजा किया जाये तो सा